स्वास्थ्य

CIMS का बायोकेमिस्ट्री विभाग प्रदेश और देश को सिकल सेल मुक्त बनाने के मिशन में एक मील का पत्थर साबित हो रहा, 2024 में 12,500 सैंपलों का हुआ परीक्षण

बिलासपुर/ सिकल सेल रोग, जो भारत और विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभरा है, उसके निदान और प्रबंधन में छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS), बिलासपुर के बायोकैमिस्ट्री विभाग ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। यह विभाग न केवल सिकल सेल रोग की जेनेटिक पुष्टि करने वाला प्रदेश का एकमात्र सरकारी संस्थान है, बल्कि नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग और पुष्टि परीक्षण में भी अग्रणी है। सिकल सेल के रोगियों के कल्याण हेतु विभाग ने सीएसआईआर – सीसीएमबी हैदराबाद, के साथ भी अनुबंध किया है। 

सिकल सेल रोग भारत और छत्तीसगढ़ का परिदृश्य

भारत में सिकल सेल रोग के मामलों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ (2022) आंकी गई है, जिसमें छत्तीसगढ़ एक हॉटस्पॉट के रूप में उभरा है। छत्तीसगढ़ में लगभग 10% जनसंख्या सिकल सेल वाहक है और करीब 1% जनसंख्या इस बीमारी से ग्रस्त है। सिकल सेल रोग के अधिकतर मामले आदिवासी क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जिससे प्रभावित लोगों को समय पर निदान और उपचार मिलना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

बायोकेमिस्ट्री विभाग की उपलब्धियां

बायोकैमिस्ट्री विभाग ने 2024 में 12,500 सैंपल प्राप्त किए 12500 सैम्पल्स में से 101 होमोज़ाइगस अर्थात बड़ी सिकलिंग एवं 650 हेटेरोजाइगस अर्थात छोटी सिकलिंग से ग्रसित पाए गए। साथ ही 29 मरीज़ सिकल बीटा थैलेसीमिया से भी ग्रसित पाए गए। यह विभाग सिकल सेल रोग की पहचान और पुष्टि के लिए सॉल्यूबिलिटी टेस्ट, इलेक्ट्रोफोरेसिस, एचपीएलसी और जेनेटिक पुष्टि जैसे सभी चार प्रमुख परीक्षण करता है। यह नवजात शिशुओं की स्क्रीनिंग और पुष्टि करने वाला छत्तीसगढ़ का एकमात्र शासकीय संस्थान है। विभाग केवल सिकल सेल धारक व्यक्तियों के रक्त का परिक्षण ही नहीं करता बल्कि उनको परामर्श भी देता है।  यही नहीं विभाग ऐसे सिकल सेल रोगियों को जो पूर्व में पंजीकृत थे परन्तु अब संपर्क में नहीं हैं उन्हें भी संपर्क करने की कोशिश कर रहा है।  इसी कड़ी में हाल ही में विभाग ने सिकल सेल रोगियों के लिए एक विशेष कल्याण शिविर आयोजित किया, जिसमें 221 मरीज लाभान्वित हुए। इस शिविर में न केवल मरीजों को चिकित्सा सहायता दी गई, बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य के लिए परामर्श सत्र भी आयोजित किए गए। साथ ही, यदि किसी नए मरीज की पुष्टि होती है, तो विभाग उनके परिवार के अन्य सदस्यों की जांच भी करने की योजना बना रहा है।

सरकार की नीति और विभाग की पहल

भारत सरकार ने 2023 में सिकल सेल उन्मूलन मिशन की घोषणा की, जिसका उद्देश्य 2047 तक सिकल सेल रोग को समाप्त करना है। इसके तहत सिकल सेल की स्क्रीनिंग, नवजात शिशुओं की पहचान, मुफ्त उपचार और जागरूकता जैसे कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी गई है।सिम्स का बायोकैमिस्ट्री विभाग इस मिशन के लक्ष्यों के साथ सीधे जुड़ा हुआ है। विभाग द्वारा समय पर स्क्रीनिंग, पुष्टि और परामर्श जैसी सेवाएं इस राष्ट्रीय मिशन के उद्देश्य को साकार करने में मदद कर रही हैं। विभाग की नवजात स्क्रीनिंग और जेनेटिक पुष्टि क्षमता इस मिशन के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

भविष्य की योजनाएं

बायोकैमिस्ट्री विभाग के कार्यों को सही दिशा देने और इसे एक व्यापक स्तर पर ले जाने का श्रेय विभाग की कुशल टीम और मजबूत नेतृत्व को जाता है। विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशांत निगम ने बताया, “हमारे प्रयास केवल निदान तक सीमित नहीं हैं। मरीजों की भलाई और सिकल सेल रोग को जड़ से खत्म करना हमारी प्राथमिकता है।”डीन *डॉ. रमनेश मूर्ति* ने कहा, “हम सिकल सेल रोग की डायग्नोस्टिक्स तक सीमित नहीं रहेंगे। हम एक अत्याधुनिक जेनेटिक लैब स्थापित करने का प्रस्ताव जल्द ही भेज रहे हैं, जो प्रदेश में सिकल सेल रोग के उपचार को नई दिशा देगा।”
मेडिकल सुपरिंटेंडेंट *डॉ. लखन सिंह* ने कहा, “हमारा सिकल सेल केंद्र रोगियों को नियमित रूप से दवाइयां उपलब्ध करा रहा है एवं उनकी हरसंभव चिकित्सा सुविधा प्रदाय करने हेतु सिम्स प्रबंधन कटिबद्ध है।”

मुख्य बातें
:सिकल सेल रोग की जेनेटिक पुष्टि और नवजात स्क्रीनिंग में प्रदेश का एकमात्र केंद्र।
: 2024 में 12,500 सैंपल परीक्षण।
: राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन 2047 के साथ जुड़ाव।
: 221 रोगियों के लिए कल्याण शिविर का आयोजन।
: अत्याधुनिक जेनेटिक लैब की स्थापना की योजना।
: CIMS, बिलासपुर का बायोकैमिस्ट्री विभाग सिकल सेल रोग के  निदान, प्रबंधन और रोगियों के जीवन स्तर को सुधारने में अहम भूमिका निभा रहा है। यह प्रदेश और देश को सिकल सेल मुक्त बनाने के मिशन में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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