CIMS के बायोकेमिस्ट्री विभाग ने किया सिकलसेल रोगियों के लिए तीन दिवसीय निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन, रोगियों की सेवा और शोध की दिशा में अहम कदम


बिलासपुर/ बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा 9 दिसंबर 2024 से 11 दिसंबर 2024 तक तीन दिवसीय निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जा रहा है । यह शिविर वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), नई दिल्ली एवं कोशकीय एवं आण्विक जीव विज्ञान केंद्र (CCMB), हैदराबाद के सहयोग से आयोजित हो रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य न केवल सिकल सेल रोगियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है, बल्कि इस क्षेत्र में उन्नत शोध को भी बढ़ावा देना है।प्रथम दिन का सफल आयोजन डॉ प्रशांत निगम, विभागाध्यक्ष, बायोकेमिस्ट्री विभाग ने बताया कि शिविर के पहले दिन 60 से अधिक मरीजों ने शिविर का लाभ उठाया। शिविर में आने वाले मरीजों की निःशुल्क चिकित्सकीय जांच की गई। सिकल सेल रोग से संबंधित HPLC परीक्षण, जैव रासायनिक जांच, और अन्य रक्त परीक्षण किए गए। मरीजों को सिकल सेल रोग के उपचार हेतु दवाइयां भी निःशुल्क प्रदान की गईं।इस शिविर में छत्तीसगढ़ और आसपास के क्षेत्रों से लगभग 300 सिकल सेल रोगियों के लाभान्वित होने की संभावना है। बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा इस प्रकार का सेवा और शोध से समृद्ध आयोजन समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वरिष्ठ चिकित्सा विशेषज्ञों की उपस्थिति शिविर के उद्घाटन अवसर पर छत्तीसगढ़ आयुष विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार पात्रा, CCMB के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं जे. सी. बोस फेलो डॉ. गिरिराज चांडक (वर्चुअली), सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति, मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट डॉ. लखन सिंह, और अन्य विशेषज्ञ उपस्थित रहे।डॉ. प्रदीप कुमार पात्रा, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी, ने इस आयोजन को समाज के लिए एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने जानकारी दी कि जून 2018 से जुलाई 2024 तक, बायोकेमिस्ट्री विभाग ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के समीपवर्ती जिलों में 3,63,000 से अधिक व्यक्तियों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की है। इनमें से 30,000 लोगों में छोटी सिकलिंग (हेटेरोज़ायगस) और 2,300 लोगों में बड़ी सिकलिंग (होमोज़ायगस) पाई गई।
सिकलसेल रोग पर उन्नत शोध की दिशा में कदम
CCMB के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. गिरिराज चांडक ने बताया कि सिकल सेल रोगियों के अनुवांशिक (genotype) और अवलोकनात्मक गुणों (Phenotype) के बीच संबंध को समझने के लिए CCMB और सिम्स का बायोकेमिस्ट्री विभाग संयुक्त रूप से शोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह शोध सिकल सेल रोगियों की विभिन्न दवाइयों पर भिन्न प्रतिक्रिया के कारणों को समझने में मदद करेगा।
प्रशंसा और भविष्य की संभावनाएं
सिम्स के अधिष्ठाता डॉ. रमणेश मूर्ति ने शिविर का दौरा किया और बायोकेमिस्ट्री विभाग की सेवाओं की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह पहल न केवल रोगियों के जीवन में सुधार लाएगी, बल्कि चिकित्सा और शोध में भी नए मानक स्थापित करेगी। यह प्रयास समाज के लिए एक उदाहरण बनेगा।”
मेडिकल विभागों का योगदान
शिविर में बायोकेमिस्ट्री विभाग के अलावा, मेडिसिन और शिशु रोग विभागों के चिकित्सकों ने भी अपनी सेवाएं दीं। इस समन्वित प्रयास से सिकल सेल रोगियों को व्यापक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई।
समाज के लिए एक प्रेरणादायक पहल
बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा इस तरह का आयोजन सिकल सेल रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने और समाज में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देने का कार्य कर रहा है। यह आयोजन न केवल सिकल सेल रोगियों के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि आने वाले समय में रोग निवारण और उपचार के नए आयाम भी खोलेगा।