सिम्स में तीन दिवसीय ‘बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन’ का भव्य शुभारंभ


बिलासपुर/ चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता और आधुनिकता के नए आयाम स्थापित करने के उद्देश्य से cims, बिलासपुर में तीन दिवसीय ‘बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन’प्रशिक्षण कार्यक्रम का आगाज़ हुआ। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के निर्देशानुसार कौशल आधारित चिकित्सा शिक्षा (CBME) के तहत आयोजित किया जा रहा है। इसमें चिकित्सकीय शिक्षा के आधुनिक तौर-तरीकों और नवीनतम शिक्षण विधियों पर गहन चर्चा की जा रही है। डॉ. रमनेश मूर्ति, डीन एवं निदेशक, cims, इस ऐतिहासिक पहल के मुख्य प्रेरणास्त्रोत हैं। उनका मानना है कि यह प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों की क्षमताओं को सशक्त करेगा, बल्कि छात्रों को भी वैश्विक मानकों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करेगा। इस कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. केशव कश्यप, फिजियोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं। पहले दिन की खास झलकियां पहले दिन का आगाज़ परिचयात्मक सत्र और समूह गतिशीलता के साथ हुआ। डॉ. रमनेश मूर्ति ने इस सत्र का नेतृत्व करते हुए शिक्षकों को टीम वर्क और समूह क्रियाओं के महत्व से अवगत कराया। प्रतिभागियों को टीम बिल्डिंग एक्सरसाइज और समूह आधारित शिक्षण के प्रभावी तरीकों से परिचित कराया गया। इसके बाद डॉ. सुचिता सिंह ने “सीखने की प्रक्रिया, लर्निंग डोमेन और शिक्षण के सिद्धांत” पर प्रभावी प्रस्तुति दी। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा में सीखने के विभिन्न स्तरों और सिद्धांतों को लागू करने की महत्ता को समझाया।
दोपहर के सत्र में सीबीएमई के लक्ष्यों, भूमिकाओं और शिक्षण उद्देश्यों पर चर्चा हुई। डॉ. प्रशांत निगम ने प्रतिभागियों को CBME की बारीकियों से परिचित कराया और इसे शिक्षण प्रक्रिया में प्रभावी ढंग से लागू करने के तरीकों पर प्रकाश डाला।इसके अलावा, डॉ. केशव कश्यप ने शिक्षण-अधिगम विधियों (TLM) के विविध पहलुओं पर चर्चा की और बड़े तथा छोटे समूहों में इंटरैक्टिव शिक्षण के महत्व को समझाया।
आने वाले दिनों की तैयारी
दूसरे दिन (13 दिसंबर), सत्रों में आधुनिक चिकित्सा शिक्षा के नए आयामों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। दिन की शुरुआत *AETCOM: अवधारणा और कार्यान्वयन* से होगी। डॉ. प्रशांत निगम* AETCOM को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बहुआयामी टीमवर्क का प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद स्व-निर्देशित शिक्षण (SDL)और क्लिनिकल व प्रैक्टिकल कौशल शिक्षण पर गहन चर्चा होगी, जिसमें प्रतिभागियों को सटीक और प्रभावी कौशल शिक्षण के गुर सिखाए जाएंगे। इन सत्रों का संचालन डॉ. मधुमिता . मूर्ति, डॉ. लखन सिंह, और डॉ. विद्या भूषण साहू करेंगे।
– दोपहर बाद मूल्यांकन योजना और सही प्रश्न निर्माण के सत्र में डॉ. श्रेया तोड़ी और डॉ. केशव कश्यप प्रतिभागियों को मूल्यांकन के नवीनतम तरीकों से परिचित कराएंगे। तीसरे दिन (14 दिसंबर) सत्रों का मुख्य फोकस शिक्षण विधियों और मूल्यांकन प्रक्रिया के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर रहेगा। सुबह की शुरुआत पाठ योजना तैयार करने से होगी, जिसे डॉ. श्रेया तोड़ी और डॉ. केशव कश्यप संचालित करेंगे। इसके बाद क्लिनिकल और प्रैक्टिकल कौशल मूल्यांकन पर सत्र आयोजित होगा, जिसमें डॉ. दीपीका सिंह और डॉ. विजयेंद्र कुमार पैंकरा प्रतिभागियों को OSCE/OSPE जैसे प्रभावी तरीकों से अवगत कराएंगे। अंतिम सत्रों में शैक्षणिक विकास और नेटवर्किंग, मेंटोरिंग और पोस्ट-टेस्ट और फीडबैक पर चर्चा होगी।
CBME: चिकित्सा शिक्षा में बदलाव का नया युग
CBME चिकित्सा शिक्षा में एक क्रांतिकारी परिवर्तन का प्रतीक है, जो छात्रों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करता है बल्कि व्यावहारिक कौशल और नैतिक मूल्यों से भी सशक्त बनाता है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण और मूल्यांकन पद्धतियों से परिचित कराने के साथ-साथ उन्हें एक बेहतर मार्गदर्शक के रूप में विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से, CIMS ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया है। डॉ. रमनेश मूर्ति और उनकी टीम की यह पहल चिकित्सा शिक्षा में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर साबित हो रही है।