भारतीय पारंपरिक जीवन शैली को अपनाएं युवा – कुलपति ,सीवीआरयू में देश का प्रकृति परीक्षण अभियान


बिलासपुर/डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय में देश का प्रकृति परीक्षण अभियान आयोजित किया गया। यह आयोजन भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और बिलासपुर शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय और विष्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों का रचनात्मक, क्रियान्वयन, व्यावहारिक एवं मनोस्थिति संबंधित प्रश्नावली से परीक्षण किया गया. साथ ही सभी ने आधुनिक जीवन शैली को छोड़कर भारतीय पारंपरिक जीवन शैली को स्वीकार करके स्वास्थ्य को बेहतर रखने का संकल्प लिया।इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवि प्रकाश दुबे ने कहा कि हम जिस तरह से लग्जरी जीवन शैली को स्वीकार करते जा रहे हैं,उसे प्रकृति का विनाश होगा और प्रकृति के दंड के भागीदार भी हम होंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय पारंपरिक जीवन शैली को हमें स्वीकार करना चाहिए। इससे हम प्रकृति को संरक्षित रख सकेंगे साथ ही साथ हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर होगा. उन्होंने षरीर के तत्वों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में उपस्थित विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ अरविंद तिवारी ने कहा कि मनुष्य की भी एक प्रकृति होती है, और इसका परीक्षण भी बहुत जरूरी है। हम इस दिषा में कभी कार्य नहीं करते हैं। हमारा विश्वविद्यालय भारतीय ज्ञान को प्रोत्साहित कर रहा है। सही मायने में भारतीय जीवनचार्य ही शिक्षा पद्धति है। उन्होंने कहा कि हमें अपना आचार, विचार, व्यवहार, भारतीय जीवन शैली के अनुरूप रखना चाहिए। जिससे जीवन बेहतर और स्वास्थ्य श्रेश्ठ बनेगा। पशु पक्षी इसके साथ-साथ उदाहरण है,जो प्रकृति के साथ समन्वय से जीवन जीते है।इस अवसर पर शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के प्राचार्य प्रो.आर.पी.गुप्ता आयुर्वेद दो शब्दों से बना हुआ है। आर्यु का अर्थ है, आयु और वेद का अर्थ है। पैराणिक निहित ज्ञान । इस तरह हम कह सकते हैं, कि ऐसा ज्ञान जिससे हमें आयु, शरीर, स्वास्थ्य, के बारे में पूरी जानकारी हो। उन्होंने कहा कि यदि हम पिंड और ब्रह्म के नियम को जान ले, तो हमारे जीवन शैली अनुकूल हो जाएगी। इस अवसर पर उपस्थित महाविद्यालय के सहा प्राध्यापक डॉ. विवेक दुबे ने कहा कि आयुष मंत्रालय का उद्देश्य आयुर्वेद को पुनः जीवित करना और बेहतर जीवन शैली में लौटने जैसा है। उन्होंने बताया कि आधुनिक जीवन शैली में आयुर्वेद कैसे उपयोगी साबित हो इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर डॉ. सीमा पांडे ने बताया कि हम भीतर वात, कफ, पित्त है। वायु क्रिया करती है, पित्त कर्म करता और कफ रचना का काम करता है। इस अवसर पर शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के स्टाफ और विद्यार्थियों ने सभी का प्रकृति परीक्षण किया। सभी ने अपनी चर्या की विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर प्रकृति परीक्षण करने वाले सभी लोगों को डिजिटल प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग की विभाग अध्यक्ष डॉ रितेश मिश्रा ने किया एवं आभार प्रकट डीन डॉ. जयषंकर यादव ने किया।