बिलासपुर

टोनही प्रताड़ना क़ानून पर “मदद मीनार फाउंडेशन” ने किया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

बिलासपुर। समाजसेवी संस्था मदद मीनार फाउंडेशन  की ओर से “समझो तो” प्रोग्राम के माध्यम से द सविंधान लाइव कार्यक्रम के तहत पिछले नौ माह से संस्था अनेक मोहल्ला सभा, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बाल विवाह, कानून, संविधान जागरिक, नशामुक्ति जैसे ज्वलंत मुद्दों पर युवाओं के बीच जन-जागरूकता का काम कर रही है एवं समाज मे बदलाव लाने का एक सकारात्मक प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में छतीसगढ़ टोनही प्रताड़ना कानून 2005 के अधिनियम को लेकर संस्था द्वारा विषय “महिलाओं को डायन-बिसाही से बचाने के नाम पर, टोनही अधिनियम वास्तव में लिंग आधारित हिंसा को वैध बनाता है” पर एक डिबेट का आयोजन किया।जिसमे समाज मे फैले अंधविश्वास को दूर करने के लिए टोनही प्रताड़ना में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को प्रमुख मुद्दा माना गया। कुरीतियों की वजह से महिला समाज को प्रताड़ित किया जाता है एवं उन्हें मानसिक क्षति पहुंचाने की कोशिश की जाती है। डिबेट के माध्यम से अधिनियम की जानकारी पक्ष-विपक्ष ने विस्तारपूर्वक रखा। संस्था के  युवा साथियों एवं फेसिलिटेटर के द्वारा आम लोगों के बीच जाकर सर्वे के माध्यम से इस मुद्दे पर लोगों की राय भी जानने का प्रयास किया गया। इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ कलेक्टिव के साथ राजस्थान एवं उड़ीसा के युवा साथी भी शामिल हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने में मदद मीनार फाउंडेशन के चेयरमैन इरशाद कुरैशी, युवा फेसिलिटेटर धीरज सिंह, कार्यक्रम समन्वयक कु.वाय. श्रवनी, समाजसेवी अमित पनेरिया, खालिद खान एवं कलीम खान का साथ रहा।
यह कार्यक्रम मदद मीनार फाउंडेशन के सक्षम लैब तथा अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, वार्तालीप,कम्युटीनी, एवं आस फाउंडेशन के सयुंक्त प्रयासों से सफल हो रहा है।

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